Rate this book
What to read after Raston Par Bhatakte Huye?
Hello there! I go by the name Robo Ratel, your very own AI librarian, and I'm excited to assist you in discovering your next fantastic read after "Raston Par Bhatakte Huye" by Mrinal Pandey! 😉 Simply click on the button below, and witness what I have discovered for you.
जिस वक्त गाँवों का महानगरों में, पत्रकारिता का राजनीति में और राजनीति का उद्योग-उपक्रमों में विलय हो रहा हो; रास्तों पर भटकते हुए कार्य-कारण; सही-गलत की खोज करना तो दुनियादारी नहीं ! मगर उपन्यास की नायिका मंजरी यही करती है । उसमें एक छटपटाहट है जानने की, कि जो होता रहा है वह क्यों होता रहा है ? इस दौरान वह बार-बार लहूलुहान होती है । घर-परिवार सहकर्मी सबसे विच्छिन्न होकर भाषा की, शब्दों की आदिम खोह में छिपने की कोशिश करती है, कुछ हद तक सफल भी होती है । पर तभी बंटी उसके जीवन में प्रवेश करता है, और उसके भीतर का हिमवारिधि पिघलने लगता है । किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति की रहस्यमयी रखैल का यह मासूम-गर्वीला बच्चा, ऊँगली पकड़कर मंजरी को अपने साथ उन रास्तों पर भटकता है, जहाँ पैर रखने से वह कतराती रही है । पहले बंटी, और उसके बाद उसकी माँ की नृशंस हत्या, और राजधानी के सुरक्षातंत्र की रहस्यमय चुप्पी मंजरी को इन हत्यारों की तह में जाने को बाध्य करती है । बंटी की स्मृति के सहारे तब मंजरी एक स्याह पाताली गंगा के दर्शन करती है, जोदेश के मर्म, उसकी राजधानी के तलघर में कई रहस्यमय भेदों को छुपाए बह रही है । चाहे न चाहे मंजरी के अपने जीवन के कई स्रोत भी इससे जुड़े हुए निकलते हैं । दो मौतों की तफ्तीश के बहाने मंजरी अपने निजी जीवन, विवेक एंव अपनी अंतरात्मा की परिक्रमा करते हुए रास्तों पर भटकती है ।
Do you want to read this book? 😳
Buy it now!
Are you curious to discover the likelihood of your enjoyment of "Raston Par Bhatakte Huye" by Mrinal Pandey? Allow me to assist you! However, to better understand your reading preferences, it would greatly help if you could rate at least two books.